रघुवीर सहाय का जीवन परिचय | Raghuvir Sahay Ka Jeevan Parichay

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रघुवीर सहाय का स्मरणीय संकेत

पूरा नाम (Full Name)रघुवीर सहाय (Raghuvir Sahay)
जन्म तिथि (Date of Birth)9 दिसंबर, 1929
जन्म स्थान (Place of Birth)लखनऊ, उत्तर प्रदेश (भारत)
आयु (Age)61 वर्ष
पिता का नाम ( Father’s Name)श्री हरदेवर सहाय
माता का नाम (Mother’s Name)श्रीमती तारादेवी सहाय
पत्नी का नाम (Wife’s Name)विमलेश्वरी सहाय
शिक्षा (Education)एम.ए (अंग्रेजी)
कॉलेज/विश्वविद्यालय (College/University)लखनऊ विश्वविद्यालय
पेशा (Profession)लेखक, कवि, पत्रकार, अनुवादक
रचनाएँ (Rachnaye)काव्य-संग्रह  
1. लोग भूल गए हैं
2. कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ
3. एक समय था
4. सीढ़ियों पर धूप में
5. आत्महत्या के विरुद्ध
6. हँसो, हँसो जल्दी हँसो
कहानी-संग्रह 
1. रास्ता इधर से है
2. सीढ़ियों पर धूप में
3. जो आदमी हम बना रहे हैं
निबंध-संग्रह
1. दिल्ली मेरा परदेस
2. लिखने का कारण
3. ऊबे हुए सुखी 
4. वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे
5. भँवर
6. यथार्थ का अर्थ
7. अर्थात्
8. लहरें और तरंग

अनुवाद 
1. बरनमवन ( विलियम शेक्सपीयर के नाटक मैकबेथ का अनुवाद)
2. तीन हंगरी नाटक 
भाषा (Languages)हिन्दी एवं अंग्रेजी
पुरस्कार (Awards)1. साहित्य अकादमी पुरस्कार’,
2. मरणोपरान्‍त हंगरी का ‘सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान’,

3. ‘राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान’ आदि। 
राष्ट्रीयता (Nationality)भारतीय
मृत्यु तिथि (Date of Death)30 दिसंबर, 1990
मृत्यु स्थान (Place of Death)नई दिल्ली (भारत)

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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ओमप्रकाश वाल्मीकिरसखान
सूर्यकान्त त्रिपाठीआनंदीप्रसाद श्रीवास्तवजयप्रकाश भारती
मैथिलीशरण गुप्तमहावीर प्रसाद द्विवेदीगोस्वामी तुलसीदास
अमरकांतडॉ० संपूर्णानन्दजयशंकर प्रसाद
संत नाभा दासप्रेमघनमोहन राकेश
महाकवि भूषण जीमाखनलाल चतुर्वेदीहरिशंकर परसाई

जीवन परिचय – रघुवीर सहाय (Raghuvir Sahay)

रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। वे संस्कृति से भरपूर जगह में पले-बढ़े, जिससे उन्हें पढ़ने और सामाजिक मुद्दों में गहरी रुचि विकसित करने में मदद मिली। सहाय ने लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी साहित्य में डिग्री हासिल की। ​​उनकी शिक्षा उनकी लेखन शैली को विकसित करने में महत्वपूर्ण थी, जो आधुनिक हिंदी कविता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई।

रघुवीर सहाय साहित्यिक कैरियर

रघुवीर सहाय हिंदी कविता और पत्रकारिता में अपने महत्वपूर्ण काम के लिए जाने जाते हैं। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद वे आधुनिक हिंदी साहित्य में एक सशक्त आवाज़ बन गए। उनकी कविताओं में लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के बारे में उनकी चिंताएँ दिखाई देती हैं। उनका लेखन अक्सर राजनीतिक अन्याय, आर्थिक संघर्ष और सामाजिक अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाता है।

सहाय की कविताएँ अपनी दोस्ताना शैली, सरल लेकिन सार्थक शब्दों और सौम्य हास्य के लिए जानी जाती हैं। वे जटिल सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रोज़मर्रा की भाषा का उपयोग करने में माहिर थे। उनके लेखन में मानवीय भावनाओं की गहरी समझ के साथ तीक्ष्ण बुद्धि का मिश्रण था, जिससे उनकी कविताएँ समझने में आसान और साथ ही विचारोत्तेजक बन गईं।

रघुवीर सहाय प्रमुख कृतियाँ/रचनाएँ

काव्य-संग्रह  
1. लोग भूल गए हैं
2. कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ
3. एक समय था
4. सीढ़ियों पर धूप में
5. आत्महत्या के विरुद्ध
6. हँसो, हँसो जल्दी हँसो
कहानी-संग्रह 
1. रास्ता इधर से है
2. सीढ़ियों पर धूप में
3. जो आदमी हम बना रहे हैं
निबंध-संग्रह
1. दिल्ली मेरा परदेस
2. लिखने का कारण
3. ऊबे हुए सुखी 
4. वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे
5. भँवर
6. यथार्थ का अर्थ
7. अर्थात्
8. लहरें और तरंग

अनुवाद
1. बरनमवन ( विलियम शेक्सपीयर के नाटक मैकबेथ का अनुवाद)
2. तीन हंगरी नाटक 

उनकी कविता में राजनीतिक और सामाजिक विषय

रघुवीर सहाय की कविताएँ महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों के बारे में बात करती हैं, लेकिन वे इसे सीधे या शोरगुल वाले तरीके से नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे सरकार में समस्याओं और आम लोगों की पीड़ा को इंगित करने के लिए हास्य और चतुर टिप्पणियों का उपयोग करते हैं। उनकी कविताओं में अक्सर लोकतांत्रिक मूल्यों के खोने, सख्त नेतृत्व के विकास और भारतीय समाज में भौतिक संपदा पर ध्यान केंद्रित करने की चिंताएँ दिखाई देती हैं।

महिलाओं के साथ अनुचित व्यवहार, गरीबी और उपेक्षित समूहों के संघर्ष जैसी समस्याओं के बारे में उन्हें बहुत चिंता थी। उनकी कविताएँ अक्सर उन लोगों के लिए बोलती थीं जिनकी कहानियों को दूसरों द्वारा अनदेखा किया जाता था।

रघुवीर सहाय पत्रकारिता में योगदान

सहाय सिर्फ़ कवि ही नहीं थे; वे एक जाने-माने पत्रकार भी थे। उन्होंने विभिन्न प्रमुख हिंदी अख़बारों और पत्रिकाओं के लिए लिखा और समसामयिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण सवाल पूछे। वे ‘दिनमान’ नामक एक प्रतिष्ठित हिंदी साप्ताहिक पत्रिका के संपादक थे, जो उनके कार्यकाल के दौरान विचार-विमर्श के लिए एक प्रमुख स्थान बन गया।

एक पत्रकार के तौर पर, वे ईमानदार रिपोर्टिंग और साहसपूर्वक सच्चाई को साझा करने में विश्वास करते थे। उनका काम इस बात पर केंद्रित था कि मीडिया किस तरह लोकतंत्र की मदद करता है और सत्ता में बैठे लोगों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार बनाता है।

रघुवीर सहाय विरासत और प्रभाव

रघुवीर सहाय का हिंदी साहित्य और पत्रकारिता पर बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। उनका काम आज के कवियों और पत्रकारों को प्रेरित करता है जो लेखन के ज़रिए सामाजिक बदलाव लाना चाहते हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों में कई छात्र उनकी कविताएँ पढ़ते हैं, जो आज के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को समझने के लिए आज भी महत्वपूर्ण है।

सहाय का 30 दिसंबर 1990 को निधन हो गया, लेकिन उनका लेखन और पत्रकारिता आज भी भारत में लोकतंत्र, न्याय और मानवाधिकारों पर चर्चा को प्रभावित करती है।

निष्कर्ष

रघुवीर सहाय सिर्फ़ कवि ही नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने शब्दों का इस्तेमाल करके यथास्थिति को चुनौती दी। उनका काम उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति बना हुआ है, जो सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए साहित्य की शक्ति में विश्वास करते हैं। अपनी कविता और पत्रकारिता के ज़रिए, उन्होंने एक ऐसी विरासत छोड़ी जो आज भी पाठकों और विचारकों के बीच गूंजती रहती है।

Frequently Asked Questions (FAQs) रघुवीर सहाय का जीवन परिचय | Raghuvir Sahay Ka Jeevan Parichay:

Q. रघुवीर सहाय कौन थे?
रघुवीर सहाय हिंदी के प्रसिद्ध कवि, पत्रकार, कहानीकार और आलोचक थे।

Q. रघुवीर सहाय का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उनका जन्म 9 दिसंबर 1929 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

Q. रघुवीर सहाय की प्रमुख कृतियाँ कौन-कौन सी हैं?
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं – आत्महत्या के विरुद्ध, हंसो हंसो जल्दी हंसो, लोग भूल गए हैं, सीढ़ियों पर धूप में आदि।

Q. रघुवीर सहाय किस साहित्यिक विधा के लिए प्रसिद्ध थे?
वे मुख्य रूप से कविता के लिए प्रसिद्ध थे, लेकिन उन्होंने कहानियाँ, निबंध और पत्रकारिता में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Q. रघुवीर सहाय की कविताओं की मुख्य विशेषता क्या थी?
उनकी कविताएँ सामाजिक और राजनीतिक चेतना से ओतप्रोत होती थीं। वे आम आदमी के संघर्ष और सामाजिक विषमताओं को उजागर करते थे।

Q. रघुवीर सहाय को कौन-कौन से पुरस्कार मिले थे?
उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1984) सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

Q. रघुवीर सहाय की कविताओं में किस प्रकार की भाषा शैली पाई जाती है?
उनकी भाषा सहज, व्यंग्यात्मक और जनसामान्य के करीब होती थी।

Q. रघुवीर सहाय की पत्रकारिता में क्या योगदान था?
वे लंबे समय तक पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे और दिनमान पत्रिका के संपादक भी रहे।

Q. रघुवीर सहाय की कविता ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ का मुख्य संदेश क्या है?
यह कविता जीवन की सकारात्मकता और सामाजिक संघर्षों के प्रति जागरूक रहने का संदेश देती है।

Q. रघुवीर सहाय का निधन कब हुआ था?
उनका निधन 30 दिसंबर 1990 को हुआ था।

Q. रघुवीर सहाय की कविताओं में राजनीति का प्रभाव किस रूप में दिखता है?
वे राजनीति की विसंगतियों और सत्ता की नीतियों पर तीखा व्यंग्य करते थे।

Q. रघुवीर सहाय ने महिलाओं से संबंधित विषयों पर क्या लिखा है?
उन्होंने महिलाओं की स्वतंत्रता, समाज में उनकी स्थिति और उनके संघर्षों को लेकर कई कविताएँ लिखीं।

Q. रघुवीर सहाय का लेखन किन साहित्यकारों से प्रभावित था?
वे प्रेमचंद, मुक्तिबोध, नागार्जुन और सुमित्रानंदन पंत जैसे साहित्यकारों से प्रभावित थे।

रघुवीर सहाय की कविता ‘हंसो हंसो जल्दी हंसो’ का क्या अर्थ है?
यह कविता समाज की बनावटी हँसी और लोगों की संवेदनहीनता पर कटाक्ष करती है।

Q. रघुवीर सहाय के लेखन में कौन-कौन से सामाजिक मुद्दे उठाए गए हैं?
वे गरीबी, शोषण, राजनीतिक दमन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक असमानता जैसे मुद्दों को उठाते थे।

Q. क्या रघुवीर सहाय ने नाटक भी लिखे हैं?
उन्होंने मुख्य रूप से कविता, कहानी और पत्रकारिता में योगदान दिया, नाटक लेखन में उनका योगदान सीमित था।

Q. रघुवीर सहाय की कविताओं में आम आदमी का चित्रण किस तरह किया गया है?
वे आम आदमी की समस्याओं, संघर्षों और उसकी चेतना को बेहद संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करते थे।

Q. रघुवीर सहाय के लेखन में व्यंग्य की क्या भूमिका थी?
उनका व्यंग्य राजनीति और समाज की विसंगतियों को उजागर करने का सशक्त माध्यम था।

रघुवीर सहाय की प्रमुख कहानियाँ कौन-कौन सी हैं?
उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ सीढ़ियों पर धूप में और दिल्ली मेरा परदेश संग्रह में संकलित हैं।

Q. रघुवीर सहाय की साहित्यिक विरासत क्या है?
वे हिंदी साहित्य में राजनीतिक और सामाजिक चेतना की कविताओं के लिए याद किए जाते हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

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